जेकेके में हवेली संगीत की प्रस्तुतियों ने किया सम्मोहित

जयपुर, जवाहर कला केंद्र (जेकेके) की वीकेंड सांस्कृतिक गतिविधियों के तहत  यहां के कृष्णायन सभागार में हवेली संगीत पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके तहत दर्शकों एवं संगीत प्रेमियों द्वारा व्यापक रूप से सराहे जाने वाले पंडित चंद्र प्रकाश तंवर और भामिनी बागरोही शर्मा ने कीर्तन, भजन व भाव नृत्य जैसी विभिन्न भक्ति प्रस्तुतियां दीं। शास्त्रीय व लोक संगीत की मिश्रित यह शैली ध्रुपद एवं धमार के समान थी।

उल्लेखनीय है कि हवेली संगीत हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का उपशास्त्रीय स्वरूप है, जो हवेलियों में गाया जाता है।

पंडित चंद्र प्रकाश तंवर के साथ तानपुरा पर भूपेंद्र तंवर, पखावज पर हरिओम वर्मा एवं हारमोनियम पर हीरालाल ने संगत की। भामिनी बागरोही शर्मा के साथ गायन में माहित मेहता, पखावज पर केषव कुमावत, झांझ पर कमल कुमावत और सारंगी पर मनोहर टांक ने संगत की।


हवेली संगीत आम तौर पर भारत के कई मंदिरों में गाया जाता है, जैसे - वृंदावन के राधा वल्लभ मंदिर, नंद गांव, उत्तर प्रदेश के कृष्ण मंदिर व नाथद्वारा के श्रीनाथ जी मंदिर आदि।

पंडित चंद्र प्रकाश तंवर हवेली संगीत और राजस्थानी मांड के विद्वान है। 50 वर्षों से अधिक से इस कला का प्रदर्षन कर रहे पंडित तंवर के पूर्वजों ने उनके राग सेवा के साथ ठाकुर श्री कल्याणराय जी के किषनगढ़ मंदिर में सेवा की है।

भामिनी हवेली संगीत घराना में पारम्परिक रूप से प्रशिक्षित गायिका हैं और राजकोट में महान विद्वान गोस्वामी श्री गोविन्द राज जी से शिक्षा भी प्राप्त की है।



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