2025 तक दूध की मांग बढकर 24 करोड़ टन हो जाने की संभावना है: श्री राधा मोहन सिंह

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि डेयरी में लगे लोगों की मेहनत और केन्द्र सरकार के अथक प्रयासों की वजह से भारत ने दूध - उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर हासिल कर विश्व के 2.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर को पीछे छोड़ दिया है। 2015-16 में भारत में दूध – उत्पादन की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। कृषि मंत्री ने ये बात आज राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड में डेयरी उद्योग के हितधारक सम्मेलन में कही। श्री सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन में वृद्धि से देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता प्रतिदिन 337 ग्राम के मौजूदा स्तर से 2021 -22 तक प्रतिदिन 500 ग्राम हो जाने की संभावना है। इस योजना में 2242 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य की दिशा में लगातार जागरुकता फैलाना और पशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना भी बेहद जरूरी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि भारत 15 वर्षों से दूध उत्पादन में विश्व में नंबर वन बना हुआ है और इसका श्रेय छोटे दूध उत्पादकों को जाता है। उन्होंने कहा कि दूध एवं दूध उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है और 2025 तक दूध की मांग बढकर 24 करोड टन हो जाने की संभावना है। 
श्री राधा मोहन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि डेयरी में विज्ञान और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना अब बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि भारत में दुनिया की सबसे अच्छी गौ प्रजातियां होने के बावजूद यहां दूध की उत्पादकता नहीं बढ़ रही है।
श्री सिंह ने बताया कि कृषि मंत्रालय ने दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं जिसमें गोकुल मिशन प्रमुख है। इसके अंतगर्त वर्ष 2014-15 से 2016-17 के लिए 500 करोड की धनराशि का प्रावधान किया गया है । विश्व बैंक और केन्द्र सरकार के सहयोग से एन.डी.डी.बी. ने केन्द्रीय क्षेत्र योजना “राष्ट्रीय डेयरी योजना चरण -1 (एनडीपी-1) के तहत कई कदम उठाए हैं। इसमें गोजातीय आबादी में अनुवाशिंक सुधार, गांवों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना और दूध उत्पादकों को अतिरिक्त दूध बेचने के अवसर मुहैया कराना शामिल है। एनडीपी -1 की शुरुआत 14 राज्यों से हुई थी और अभी इसे झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित 18 राज्यों में चलाया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि विकास के लिए दूध उत्पादन में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए। इसके लिए उन्नत प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण, मार्केटिंग, वैज्ञानिक पशु प्रबंधन, दूध उत्पादन से संबंधित जानकारी और बेहतर ऋण सुविधा से संचालित डेयरी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि डेयरी में महिलाओं और युवाओं को अच्छा रोजगार मिल रहा है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है और इस लक्ष्य को हासिल करने मे डेयरी की अहम भूमिका है।
श्री राधा मोहन सिंह ने इसके बाद नेशनल एग्रिकल्चरल साइंस कॉम्प्लेक्स, पूसा में सोसायटी ऑफ पेस्टीसाइड साइंस इंडिया के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि फसल के विभिन्न रोगों और कीटों ने खाद्य उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डाला है। इन कीटों तथा बीमारियों के कारण वैश्विक स्तर पर फसल उत्पादन में 15 से 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक की कमी हो रही है। यह अनुमान है कि कृषि उत्पादन मे विभिन्न स्तरों तथा भंडारण के दौरान कीटों, बीमारियों, खरपतवार, चूहों, पक्षियों और निमेटोड्स आदि के कारण कुल फसल उत्पादन का 35 प्रतिशत नष्ट हो जाता है। कीटनाशकों की खपत में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है और यह कृषि रसायनों (कीटनाशकों) का सबसे कम खपत करने वाला देश है। पहले कीटनाशकों की प्रयोग दर 2 से 5 कि ग्राम. प्रति हैक्टेयर थी जो घटकर 100 से 200 ग्राम प्रति हैक्टयर तक आ गयी है। पिछले कुछ सालों में कीटनाशकों के अवेशष कई फसलों में पाये जाने के कारण कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रभाव पड़ा है। इसलिए इनके मानीटरिंग की आवश्यकता है।
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