जयपुर, 30 सितम्बर ,2016 गुजरात की सीमा से लगते राजस्थान के डूंगरपुर जिले में मुख्यतः आदिवासी जन जाति के लोग निवास करते हैं। आर्थिक तथा सामाजिक रूप से पिछड़ा होने तथा जागरूकता के अभाव में प्रायः बच्चों के अधिकारों का हनन हो जाता है। इस पर अंकुश लगाने के लिए नागरिक प्रशासन एवं डूंगरपुर पुलिस ने यूनिसेफ के सहयोग से संयुक्त रूप से बाल श्रम को तथा बाल श्रमिकों की तस्करी को समूल नष्ट करने के लिए कदम उठाते हुए बाल मित्र पुलिस परियोजना का संचालन किया। बाल मित्र पुलिस परियोजना के माध्यम से जिले में देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों एवं विधि से संघर्षरत बच्चों के लिए पुलिस थानों पर एक बाल मित्र व्यवस्था का विकास हुआ जिसके परिणाम स्वरूप जिले से बाल श्रमिकों की तस्करी पर अंकुश लगने के साथ ही आमजन भी बाल अधिकारों एवं बाल संरक्षण के प्रति सजग हुए तथा जिले में बाल श्रमिकों के पलायन में लगभग 57 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। डूंगरपुर जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री अनिल जैन कहते हैं कि बाल मित्र पुलिस परियोजना में बच्चों के साथ हुए संवादों के दौरान पुलिस विभाग को विद्यालयों के साथ विद्यालय सुरक्षा एवं किशोर सश्क्तिकरण कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस हुई। यह पाया गया कि बच्चे और समुदाय यदि बाल अधिकारों के प्रति जागरूक हों तो किसी भी रूप में बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। जिले में किशोरों में बढ़ते असामाजिक भटकाव तथा विभिन्न नशाखोरी जैसी बुरी आदतों से बचाने के लिए यह आवश्यक महसूस किया गया कि विद्यालयों में तथा विद्यालय परिवेश के आस-पास के वातावरण को संरक्षित किया जावे। यह कार्यक्रम सम्पूर्ण डूंगरपुर जिले में संचालित किया जा रहा है। कार्यक्रम के अन्र्तगत प्रत्येक बीट क्षेत्र में एक विद्यालय का चयन किया गया है जिसमें कार्यक्रम एवं विभिन्न गतिविधियों के संचालन के लिए बीट कान्स्टेबल को नामित किया गया है। कार्यक्रम के अन्र्तगत संचालित गतिविधियां ः-
बीट कान्स्टेबलों द्वारा विद्यालयों में भ्रमण ः- कार्यक्रम के अन्र्तगत चयनित किये गये विद्यालयों में बीट कान्स्टेबलों द्वारा नियमित रूप से भ्रमण किया जाता है तथा छात्र संसद एवं शिक्षकों से बाल अधिकारों, बाल संरक्षण, यातायात नियमों पर वार्ता की जाती है। कान्स्टेबल द्वारा विद्यालयों के सूचना पट्ट पर आपातकालीन नम्बर तथा संपर्क सूत्र लिखे गये हैं। भ्रमण के दौरान बाल संसद से की गई चर्चा के बिन्दु, प्राप्त सुझाव तथा शिकायतों से संबधित विवरण बीट कानि द्वारा रजिस्टर में इन्द्राज किया जाता है। सामुदायिक समन्वय बैठकों का आयोजन ः- बाल संरक्षण संबधी मुद्दों पर जागरूकता तथा सामुदायिक पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से त्रैमासिक रूप से सामुदायिक बैठकों का आयोजन किया जा रहा है, सामुदायिक बैठकों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अतिरिक्त विद्यालय प्रबंधन समितियों के सदस्य गण तथा प्रधानाचार्य गण भी सम्मिलित होकर क्षेत्र में बाल संरक्षण संबधित गतिविधियों पर चर्चा की जाती है।
जागरूकता हेतु प्रचार सामाग्री ः- बच्चों में बाल संरक्षण, लैंगिक दुव्र्यवहार आदि से संबधित जागरूकता के लिए विद्यालयों में बाल अधिकारों, बाल शोषण तथा संबधित विषयों पर पोस्टर तैयार करवाये गये है जिन्हें बीट कान्स्टेबलों द्वारा चयनित विद्यालयों में चस्पा किया जा रहा है। आमजन में जागरूकता के उद्देश्य से ध्वनि संदेशों का प्रसारण किया जाता है। वर्तमान समय तक लगभग एक लाख ध्वनि संदेशों का प्रसारण किया गया है।
क्षमतावर्धन हेतु मार्गदर्शिका तथा ट्रैकिंग हेतु रजिस्टर का निर्माण ः- विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम को प्रभावी रूप से संचालित करने तथा विद्यालयों में बाल संरक्षण से संबधित गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए बीट कान्स्टेबलों, प्रधानाचार्यो हेतु बाल संरक्षण संबधी प्रशिक्षण पुस्तिका का निर्माण कराया गया है तथा बीट कान्स्टेबलों द्वारा रजिस्टर के माध्यम से विद्यालयों में मासिक रूप से ट्रैकिंग की जा रही है।
प्रधानाचार्यों का बाल संरक्षण संबधित आमुखीकरण ः- बाल संरक्षण तथा विद्यालय सुरक्षा सें संबधित प्रशिक्षण कराया गया जिसमें जिले के सभी चयनित 376 विद्यालयों के प्रधानाचार्याें ने भाग लिया। प्रशिक्षण मुख्य रूप से विद्यालयों में दैहिक सजा की रोकथाम, शिक्षा का अधिकार, बाल अधिकार तथा लैगिंक अपराधों से रोकथाम पर केन्दि्रत था। बाल शोषण एवं किशोर न्याय अधिनियम पर पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण ः- संबधित विषयों पर समय -समय पर कार्यशालाओं तथा प्रशिक्षणों द्वारा पुलिस अधिकारियों एवं बीट कान्स्टेबलों का आमुखीकरण किया जा रहा है। प्रशिक्षण में कार्यक्रम के अन्र्तगत चयनित सभी 270 बीट कान्स्टेबलों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया हैं ।
प्रधानाचार्यो हेतु फ्लिप कार्ड का निर्माण ः- प्रधानाचार्यों तथा विद्यालयों के शिक्षकों में बाल संरक्षण, विद्यालय के अन्दर तथा विद्यालय के आस-पास होने वाले मानसिक, शारीरिक, लैंगिक दुव्र्यवहार को रोकने के लिए किये जा सकने वाले उपायों के बारे में जागरूकता हेतु फ्लिप कार्ड का निर्माण किया गया है।
पुलिस अधिकारियों द्वारा विद्यालयों में बाल वत्सल वार्ता ः- पुलिस अधिकारियों द्वारा समय -समय पर बीट कान्स्टेबल के साथ विद्यार्थियों से बाल वत्सल वार्ता की जाती है जिसमें बच्चों को बाल अधिकारों, बाल शोषण तथा कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी जाती है। वर्तमान समय तक पुलिस द्वारा बच्चों को वत्सल वार्ता कार्यक्रम के मार्फत जानकारी दी गई है। उपरोक्त गतिविधियों के अलावा पुलिस द्वारा विद्यालय के आस -पास नशे की दुकानों पर धूम्रपान अधिनियम तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 में कार्यवाहियां की जा रही हैं। यह कार्यक्रम जिला पुलिस द्वारा की जा रही एक नई पहल है जो कि भविष्य में अपराध मुक्त समाज की अवधारणा तथा सामुदायिक पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहयोग करेगी। इसके फलस्वरूप बच्चे तथा समुदाय न केवल बाल अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे तथा विकट परिस्थितियों में पुलिस अथवा संबधित अधिकारियों की सहायता ले पायेंगे। कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों तथा किशोरों को नैतिक मूल्यों तथा अपराधों के दुष्परिणामों से भी अवगत कराया जायेगा जिससे निकट भविष्य में युवा वर्ग द्वारा किये जाने वाले अपराधों में कमी आयेगी। चयनित विद्यालयों के शिक्षक तथा बीट कान्स्टेबल बाल संरक्षण से संबधित नियमों पर प्रशिक्षित हो सकेंगे। क्षेत्र में देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की ट्रैकिंग हो सकेगी तथा उन्हें आवश्यकतानुसार सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी होगी। आमजन यदि बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे तो बच्चों की विद्यालय में उपस्थिति में बढ़ोतरी होगी, बाल श्रम, बाल विवाह, बाल दुव्र्यवहार तथा शोषण आदि में निश्चित रूप से कमी होगी तथा एक शिक्षित तथा सुरक्षित समाज की संकल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकेगा।
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