जयपुर, वर्षा के जल की एक-एक बूंद को सहज कर भूमि में समाहित करने की प्रतिकल्पना अब साकार रूप लेने लगी है। 27 जनवरी से 30 जून 2016 तक आरम्भ मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान की कमान जल संरक्षण विशेषज्ञ ओर राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन आयोजना प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री श्रीराम वेदिरे ने संभाली। जिनके नेतृत्व में अभियान के प्रथम चरण में प्रदेश में 3500 गांवों का चयन कर एक लाख आठ सौ जल संरक्षण कार्यों को आरंभ किया गया। जिनमें से लगभग 96000 कार्यों को रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया गया। अभियान में वर्षा जल को प्राकृतिक रूप से संरक्षित करने का कार्य इसी साल जनवरी से आरम्भ किया गया था। जिसमें तालाब गहरे कराने, मिट्टी के चैक डेम, जल संग्रहण ढांचा, संकन गलिपिट, मिनी परकोलेशन टैंक, कन्टीन्यूअस कन्टूर टेन्केज, खडीन, जोहड़ बनाने, एमपीटी बनाने, टांका निर्माण तथा छोटे एनीकट बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया। अभियान में बरसाती पानी के अधिकाधिक संग्रहण के लिए परम्परागत जलाशयों और तालाबों से मिट्टी एकत्र कर निकाली गई। जिससे एक ओर जलाशयों की जल संग्रहण क्षमता कई गुना बढ़ी वहीं दूसरी ओर जलाशयों के तल से निकलने वाली चिकनी मिट्टी भी किसानों के खेतों में पहुंचकर जमीन को उपजाऊ बना रही है। जीओ टेगिंग का प्रयोग देश में पहली बार मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में सभी एक लाख आठ सौ उन्तीस जल संरचना कार्यों की जीओ टेंकिंग (अक्षांक्ष ओर दक्षान्तर) का वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया गया और जिससे सभी कार्य चयनित स्थान पर ही आरंभ किये गए ओर उनकी समय-समय पर इटरनेट द्वारा भी मॉनिटिरिंग की जा सकी। मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग अभियान को सफल बनाने के लिए प्राधिकरण द्वारा एक मोबाईल एप बनाया गया। जिससे गूगल अर्थ से जोड़ा गया साथ ही नोडल अधिकारियों द्वारा अपने मोबाइल से विकास कार्याें का छायाचित्र लेकर प्रगति की जानकारी समय-समय मुख्यालय भिजवाई जा सकी। सफल जन अभियान बना मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में गांव-गांव में हुए जल संरक्षण कार्यों में यथा तालाब गहरे कराने, बावड़ियों की सफाई एवं जल संरक्षण के अन्य विकास कार्यों में आम जन का पूरा समर्थन मिला तथा अधिकारियों, कर्मचारियों एवं आम लोगों ने स्वेच्छा से आकर समय-समय पर श्रमदान किया। लोगों ने अपने टै्रक्टर ओर अन्य मशीनरी उपकरण अभियान के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराई। इसके के साथ धीरे-धीरे यह अभियान एक जल सफल अभियान बन गया। इतना ही नहीं विभिन्न दानदाताओं एवं औद्योगिक संस्थानों ने अभियान के पुनीत कार्यों के लिए धन राशि भी दान स्वरूप प्रदान की। समय-समय पर प्रदेश के मंत्रीगण, प्रमुख शासन सचिव, प्रभारी सचिव सहित जिला कलक्टरों द्वारा भी अभियान के दौरान किए जा रहे विकास कार्यों की नियमित समीक्षा एवं देख-रेख की गई। 25 लाख पौधे लगाए गये अभियान के प्रथम चरण में पूर्ण सभी जल संरचनाओं पर 25 लाख फलदार, छायादार एवं अन्य प्रकार के पौधे लगाए जा चुके है। जिससे न केवल भूमि का कटाव रुकेगा अपितु सघन वृक्षारोपण भी हो सकेगा। वन विभाग द्वारा इन पौधों की देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजस्थान टे्रन्ड सैटर बना अभियान में जिस प्रकार से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का भरभूर प्रयोग कर सभी एक लाख आठ सौ उन्तीस कार्यों की जीओ टेिंगंग कराई गई और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करते हुए ऑनलाइन मेनेजमेंट, इनफोरमेंशन सिस्टम विकसित किया गया उससे जल संरक्षण कार्यों को न केवल रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया अपितु जल संरक्षण कार्यों की गुणवता भी समय-समय पर जांची जा सकी। यह प्रयोग देश में पहली बार हुआ है और इस अभियान द्वारा राजस्थान ने देश में एक नया टे्रन्ड स्थापित किया है। अभियान का द्वितीय चरण आरंभग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री सुरेन्द्र गोयल ने प्रथम चरण की सफलता के पश्चात् अब मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के द्वितीय चरण की घोषणा की है। जिसके अंतर्गत प्रदेश में 4200 गांवों का चयन कर जल संरचनाएं विकसित की जाएगी। अभियान के द्वितीय चरण में सर्वेक्षण दल को नया मोबाइल सॉफ्टवेयर वे पॉइन्ट उपलब्ध करवाया गया है। भू संरक्षण एवं जल ग्रहण विकास आयुक्त श्री अनुराग भारद्वाज के अनुसार अभियान के द्वितीय चरण में 30 सितम्बर, 2016 तक सभी चयनित जल संरक्षण कार्यों की विस्तृत कार्य योजना बना दी जायेगी तथा ग्राम सभा में स्वीकृति के पश्चात् इस वर्ष 16 नवंबर से जल संरक्षण विकास कार्य आरम्भ कर दिये जाएंगे।
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