प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेन्द्र भानावत को ‘एडोल्फ-माग्दालेना हैनी साहित्य पुरस्कार’

श्री द्वारका सेवा निधि, जयपुर द्वारा हिन्दी साहित्य की गद्य एवं पद्य विधाओं में विशेष योगदान पर वर्ष 2015 का ‘एडोल्फ-माग्दालेना हैनी साहित्य पुरस्कार’ उदयपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेन्द्र भानावत को प्रदान किया गया। श्री द्वारका सेवा निधि के सचिव चन्द्रकांत जोशी ने बताया कि इस पुरस्कार के अंतर्गत डॉ. भानावत को शॉल, प्रशस्ति पत्र, चांदी का श्रीफल सहित 41 हजार की राशि प्रदान की गई। समारोह के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध पत्रकार वेद प्रताप वैदिक एवं देवर्षि कलानाथ शास्त्री थे जबकि अध्यक्षता उत्तरप्रदेश के पूर्व राज्यपाल बी. एल. जोशी ने की।
वेद प्रताप वैदिक ने विश्व परिदृश्य में विभिन्न भाषाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदी बहुत बडे व्यापक क्षेत्र में विदेशों तक में फैली हुई है जबकि अंग्रेजी का प्रभुत्व केवल साढे चार राष्ट्रों तक सीमित है। इसलिए अंग्रेजी का भूत जो किन्हीं कारणों से भारतीय परिवेश में छाया हुआ है उसे मन और मस्तिष्क से निकालना होगा। हमारे देश के जितने भी प्राचीन युगदृष्टा ग्रंथ हैं उनमें से एक भी अंग्रेजी में नहीं है। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारे देश में सर्वव्यापक रूप में फैली हुई है।
पूर्व राज्यपाल बी. एल. जोशी ने कहा कि श्री द्वारका सेवा निधि द्वारा जो पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं वे अपनेआप में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं और अन्य पुरस्कारों से इसलिए अलग है कि इनका प्रारंभ पं. महावीरप्रसाद जोशी द्वारा किया गया स्वयं साहित्य में पुरस्कृत थे और उन्होंने अपनी पुरस्कृति राशि से यह अलख जगाई।
देवर्षि कलानाथ शास्त्री ने कहा कि एक समय था जब हिंदी में हस्ताक्षर करने पर बल दिया जाता था किंतु आज स्थिति सर्वथा भिन्न हो गई है। हर क्षेत्र में हिंदी का प्रभुत्व और बोलबाला बढता जा रहा है। समारोह को प्रख्यात हिन्दी कवि अशोक च्रक्रधर एवं सम्मानित होने वाले विद्वानों ने भी संबोधित किया।
समारोह में हिन्दी संस्थान के निदेशक प्रो. नंदकिशोर पाण्डे को ‘वैद्य महावीर प्रसाद जोशी प्रज्ञा पुरस्कार’, शास्त्रीय गायिका डॉ. लीलावती अडसुले को ‘श्रीमती जावित्री देवी जोशी प्रतिभा पुस्कार’ एवं साहित्यकार नारायणसिंह पीथल को ‘वैद्य पं. ब्रजमोहन जोशी-मन्नीदेवी जोशी राजस्थानी साहित्य पुरस्कार’ प्रदान किया गया। समारोह में श्री द्वारका सेवा निधि के प्रवक्ता नलिन जोशी, जयन्त जोशी, नयन जोशी सहित बडी संख्या में साहित्यकार एवं प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
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