ओम थानवी
शनिवार शाम हैबिटाट सेंटर में जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने दार्शनिक दयाकृष्ण की स्मृति में एक शानदार व्याख्यान दिया। आयोजन रज़ा फ़ाउंडेशन का था, अशोक वाजपेयी संयोजक थे।
शनिवार शाम हैबिटाट सेंटर में जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने दार्शनिक दयाकृष्ण की स्मृति में एक शानदार व्याख्यान दिया। आयोजन रज़ा फ़ाउंडेशन का था, अशोक वाजपेयी संयोजक थे।
मैंने हाल के वर्षों में किसी एक वक्ता को सुनने के लिए इतने श्रोता नहीं देखे। बड़ी संख्या में लोग पीछे और दीवारों के क़रीब खड़े थे, ज़मीन पर बैठे थे। विचित्र ही है कि आज के अख़बारों में उनके व्याख्यान की कहीं एक पंक्ति पढ़ने को नहीं मिली!
सबसे अहम बात उन्होंने यह कही कि आज़ादी और उसकी बाधाओं को मैं पहले 50-50 के अनुपात में देखता था। आज के हालात 40-60 के हो चले हैं।
गुहा मेरे पुराने परिचित हैं। अंत के सत्र में मैंने माइक माँग उन पर चुटकी ली कि 40-60 के अनुपात में आप कुछ उदार नहीं हो गए? हालात कहीं ज़्यादा बदतर दिखाई दे देते हैं!
Post a Comment