नई दिल्लीः नीतिगत सुधारों और सरकार के
समर्थन के बल पर ऊर्जा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षाें में व्यापक बदलाव
होने और भारत के दुनिया के चौथे बड़े बिजली उत्पादक राष्ट्र बनने के बावजूद
अभी भी देश के 500 गांव और गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल.) जीवनयापन करने
वाले 1.55 करोड़ परिवार बिजली की पहुंच से दूर हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) द्वारा
‘राउंड द क्लॉक पावर सप्लाई’ विषय पर सी.आई.आई. पीडब्ल्यूसी की जारी
रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए कहा गया है कि जल विद्युत क्षेत्र का पूर्ण
दोहनकर देश में बिजली की कमी दूर की जा सकती है। इसमें कहा गया है कि
बिजली की उपलब्धता 2 बातों पर निर्भर करती है जिसमें पर्याप्त बिजली
उत्पादन और बिजली आपूर्ति के लिए ढांचागत विकास शामिल है।
आर्थिक विकास के रूख में तेजी बने रहने से
बिजली की मांग में बढ़ौतरी होने का उल्लेख करते हुए इसमें कहा गया है कि
इससे देश में बिजली की कमी हुई है। इसके लिए इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने,
प्रौद्योगिकी स्तर पर सुधार और इस क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने वाले
कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत है। ताकि बिजली से
वंचित देश के 1.55 बी.पी.एल. परिवार और 500 गांवों तक विद्युत आपूर्ति बहाल
की जा सके।
भारत में प्रति व्यक्ति बिजली खपत वैश्विक
तुलना में बहुत कम होने का हवाला देते हुए कहा गया है कि पूर्वाेत्तर में
जल विद्युत उत्पादन की व्यापक क्षमता है। इस क्षेत्र में 59 गीगावॉट जल
विद्युत उत्पादन की क्षमता है जबकि मात्र 2 प्रतिशत क्षमता का ही दोहन हो
पा रहा है। मोदी सरकार की प्रमुख पहलों में से एक मेक इन इंडिया की सफलता,
बढ़ते शहरीकरण और ग्रामीण भारत में तेजी से सुधार की गति को बनाए रखने के
लिए बेहतर गुणवत्ता की निर्बाध बिजली आपूर्ति जरूरी है। इसमें मोदी सरकार
की महत्वकांक्षी ‘सभी के लिए 24 घंटे बिजली’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए
कहा गया है कि यह बिजली आपूर्ति चेन का क्षमता विस्तार, कोयला संसाधनों के
विकास के साथ ही लॉजिस्टिक एवं नई प्रौद्योगिकी के उपयोग से भी संभव हो
सकता है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पावर एवं यूटिलिटी
के पाटर्नर योगेश दारुका ने कहा कि सामाजिक आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की
पहुंच और उपलब्धता प्रमुख कारक हैं। सरकार की वर्ष 2019 तक पूरे देश में
बिजली पहुंचाने एवं ‘सभी के लिए बिजली’ जैसे कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं।
इसके लिए केन्द्र समर्थित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और
आई.पी.डी.एस. जैसे कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन बहुत जरूरी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी के लिए
बिजली कार्यक्रम के लक्ष्य को हासिल करना आसान काम नहीं है लेकिन ईंधन की
उपलब्धता, क्षमता विस्तार के लक्ष्यों को समय पर हासिल करना, इस क्षेत्र
में निवेश बढ़ाना और नवीनीकरण ऊर्जा के टैरिफ में कमी उत्साहवर्धक हैं
जिससे यह संकेत जा रहा है कि भारत इस लक्ष्य को निकट भविष्य में हासिल कर
सकता है। देश में ऊर्जा की स्थिति में सुधार के लिए पूर्वाेत्तर क्षेत्र
में जल विद्युत के विकास को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा गया है कि इस क्षेत्र
की कुल क्षमता का अभी तक मात्र 7 प्रतिशत ही दोहन की स्थिति में है जिसमें
स्थापित क्षमता और निर्माणाधीन परियोजनाएं भी शामिल हैं। पूर्वाेत्तर
क्षेत्र में राज्य सरकारों और जल विद्युत क्षेत्र की कम्पनियों के लिए अपार
संभावनाएं हैं।
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